मोहम्मद साहब का फोटो बनाना क्यों मना है | Mohammad Sahab Ka Photo

पैगंबर मोहम्मद साहब एक इंसान के रूप में पैदा हुए थे, इंसान थे, लेकिन हम देखते है के उनकी कोई तस्वीर नहीं है. इस लेख में हम पैगंबर मोहम्मद साहब का फोटो क्यों नहीं है और मोहम्मद साहब का फोटो बनाना क्यों मना है इसपर चर्चा करेंगे. इस से पहले हम आपको एक बात बताते है के पैगंबर मोहम्मद साहब की जितनी भी तस्वीरें बताई जाती है वह सारी की सारी काल्पनिक और झूटी है. 

मोहम्मद साहब का फोटो

वास्तविकता, सच्चाई यह है के मोहम्मद साहब का फोटो नहीं है. मोहम्मद साहब की न उनकी जिन्दगीमे किसी ने तस्वीर बनाइ थी. न पहले कभी उन की हकीकी तस्वीर थी और न आज है. पैगंबर मोहम्मद साहब के बारेमे  लिखित भौतिक विवरण हैं जिनकी प्रामाणिकता अक्सर स्वीकार की जाती है. लेकिन  सभी पक्ष इस बातपर सहमत है के पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवनकाल के दौरान बनाई गई कोई तस्वीर या तस्वीरें नहीं है.

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मोहम्मद साहब का फोटो बनाना क्यों मना है

इस बात को समझने केलिए के मोहम्मद साहब का फोटो बनाना क्यों मना है, हमें संत महात्माओंके फोटो के इतिहास के बारेमे समझना पड़ेगा. हम अक्सर देखते है के जिन जिन संत महात्माओंकी तस्वीरें चाहे वो हकीकी है या काल्पनिक है उन्हें आज जियादातर पुजा जाता है. वह इंसान मरने केबाद कुछ साल बाद इंसान से भगवान बन जाता है. लोग हकीकी ईश्वर को छोड़कर उस इंसान की पूजा शुरू कर देते है. 

कुरआन में हमें इसका उल्लेख मिलता है के कैसे शैतान इंसान को आहिस्ता आहिस्ता असल ईश्वर की भक्ति से हटाकर इंसानोकी भक्ति करने लगता है. पहले लोग यादगार के तौरपर उस नेक और भले इंसान की फोटो बनाते है. उस फोटो का आदर और सन्मान किया जाने लगता क्योंकि वह संत या महात्मा की तस्वीर होती है. फिर उसके चरणोमे फूल या अन्य चीजें अर्पण होने शुरु हो जाती है. फिर कुछ साल बाद या कुछ नस्लों बाद उस तस्वीर की जगह मूर्ति ले लेती है. 

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इस तरह एक नया भगवान बन जाता है. लोग असल भगवान उनके ईश्वर को छोड़कर इस संत महात्माकी पूजा और भक्ति शुरू कर देते है. और आप इसके बारेमें पढ़ेंगे तो आपको मालूम होगा के सिर्फ उस शख्स की तस्वीर या  मुर्तिही नही उस से जुडी चीजें भी पूज्य बन जाती है. उनकी भी पूजा और भक्ति शुरू हो जाती है. उस भले इंसान का दैवीकरण हो जाता है. 

इस बात को हम भारतवासी बहुत आसानीसे और अच्छी तरह समझ सकते है. क्योंकि थोडेसे अध्ययन से हमें मालूम हो जायेगा के हमारे यहाँ कैसे संत महातमोंका दैवीकरण हुवा है और हो रहा है.  हद तो यह है कि इतिहास हमें बताता है के ऐसे लोग जो अपनी सारी जिंदगी एक ईश्वर की भक्ति करते रहे और सारी उम्र लोगोंको एक ईश्वर की भक्ति की शिक्षा देते रहे लोगोने उनके मरने केबाद उनका भी दैवीकरण किया. उन्हें खुद ही खुदा बना लिया या उनको असल ईश्वर के साथ उसका एक साझीदार, शरीक बना दिया. इसीलिए इस्लामी धर्म गुरुओं, विद्वानों और विशेषज्ञों में इस बात पर आम सहमति है कि मोहम्मद साहब की तस्वीर किसी भी रूप में नहीं बनाई जानी चाहिए.


दैवीकरण और पैगम्बर साहब की शिक्षा  

मुहम्मद पैगम्बर साहब ने अपनी ज़िन्दगी में हमेशा अपने अनुयायियोंको इससे सचेत किया. और हमेशा इस की शिक्षा दी के मैं इंसान हूँ और ईश्वर (अल्लाह)  का पैगम्बर हूँ . ईश्वर (अल्लाह) की शिक्षाएं तुम तक पहुंचाता हु. मुझे मेरे मरतबे से जियादा नहीं बढ़ाना. जैसा के दूसरे पैगम्बरो के अनुयायियोने किया, उन्होंने उन के मरने केबाद उनका मर्तबा बढ़ाया और वह मार्ग भ्रष्ट हो गए. इस बात को अपने अनुयायियोंको समझाने केलिए उन्होंने पुराने पैगम्बरो की मिसाले दी. 

उन्होंने अपने अनुयायियोंको जो कहा  उसका  भावर्थ यह है के, जैसा इसा मसीह के माननेवालोने उन के जाने के बाद उनको  ईश्वर का बेटा बनाया वैसा तुम मेरे साथ नहीं करना. पैगम्बर साहब को इस बात का डर था  के कहीं मेरे जाने केबाद मेरे साथ भी लोग ऐसा न करें इसलिए उन्होंने इसलिए इस मामले में पहले ही सावधानी बरती. अपने अनुयायियोंको इस की शिक्षा दी. 

इस्लामी इतिहास से एक उदाहरण

पैगम्बर साहब के बाद साथी हजरत उमर जो पैगम्बर साहब के बाद मुसलमानो के दूसरे खलीफा, शासक थे. उनके शासन के काल की यह घटना है जिस का आगे जिक्र किया जा रहा है. सीरिया (शाम) से मक्का वापस आने के रास्तेपर मक्का से करीब एक बड़ा सायादार पेड़ था. पैगम्बर मुहम्मद साहब दूसरे अरबोंकीतरह कारोबार करते थे. अक्सर काफले  के साथ सीरिया (शाम) जाना होता था. जब वह सीरिया (शाम) से मक्का वापस आते तो उस सायादार दरख़्त केनीचे कुछ देर आराम करते फिर अपने घर आते. 

पैगम्बर साहब की मृत्यु के बाद पैगम्बर साहब के कुछ साथी उस पेड़के नीचे जाकर बैठने लगे. पैगम्बर साहब के आदर में, सिर्फ इसलिए के पैगम्बर साहब इस पेड़के नीचे बैठते थे इसलिए बैठते थे और कुछ नहीं करते थे. हजरत उमर का शासन काल था उसको यह बात मालूम हुई के लोग उस पेड़ के निचे जाकर बैठते है और इस कारण बैठते है. 

हजरत उमर ने उस पेड़ को कटवाने का हुक्म दिया. और सिर्फ कटवानेका हुक्म नहीं दिया उसकी जड़े तक  उखड़वाकर फिकवादी ता के वह दरख़्त कही दुबारा न उग जाए. और यह इसलिए किया के आज लोग जाकर सिर्फ उस पेड़ केनीचे बैठ रहे है कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन कल यही पेड़ बूत बन जायेगा और इसकी पूजा और भक्ति होने लगेगी, उस पेड़ का दैवीकरण हो जायेगा. यह थी पैगम्बर साहब की शिक्षा और उसका असर और पैगम्बर साहब का दैवीकरण न हो इसकेलिए उनके साथियों द्वारा बरती गई सावधानी.

तौहीद एकेश्वरवाद

एक शख्स जब मुसलमान बनता है तो वह कलमा पढ़कर और उसे दिल से मान कर  मुसलमान बनता है. उसकी शुरआत ही ला यानी नहीं, इंकार से होती है. "नहीं है कोई माबूद (पूजा,भक्ति के लायक) सिवाए अल्लाह के." इंसान इस की गवाही देकर मुसलमान बनता है. एक और एक ही इश्वर है इसकी साक्ष देकर मुस्लिम बनता है. इस एकेश्वरवाद को अरबी में तौहीद कहते है. तौहीद इस्लाम धर्म की केंद्रीय और सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिस पर एक मुसलमान का संपूर्ण धार्मिक पालन निर्भर करता है. 

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एक ईश्वर के साथ किसी और को शरीक या शामिल करने को शिर्क कहते है. आम तौरपर शिर्क इन तीन मुख्य तरीकोमे होता है. शिर्क रुबूबियाह (आधिपत्य) के क्षेत्र में हो सकता है, फिर असमा सिफात (ईश्वरीय नाम और गुण) और अंत में 'इबादत' (पूजा) में हो सकता है. फोटो या तस्वीर इसी शिर्क की तरफ लेजानेवले रस्तोमेसे एक रास्ता है. इसी फोटो ने कई कौमो को असल मार्ग से मार्गभ्रष्ट किया है. यहींसे शिर्क का बंद खुलने की शुरआत होती है. इसलिए इसका विरोध होता है. 

मोहम्मद साहब का फोटो दिखाइए 

आमतौरपर लोग किसी के बारेमे सुनते है और बहुत सुनते है तो मन में खयाल आता है के उसे देखे उससे मिले. अगर उसे देख न पाता हो तो उसकी तस्वीर ही देख ले. कुछ लोगोके मन में पैगम्बर मुहम्मद साहब के बारेमें भी यह ख्याल आता होगा. इसलिए उनका आग्रह होता है के मोहम्मद साहब का फोटो दिखाइए. ऊपर हम पढ़ चुके है के पैगम्बर मुहम्मद साहब की कोई भी हकीकी तस्वीर या फोटो नही है. जो फोटो दिखाई जाती है वह झूटी है. क्यों नहीं है और क्यों नहीं बनाना चहिए वह भी जान चुके है. लेकिन आप उनकी फोटो उनकी शिक्षाओंमे देख सकते है.

 जिसको पैगम्बर मुहम्मद साहब की तस्वीर देखना है वह उनकी झूटी तस्वीर और फोटो देखने के बजाए उनकी शिक्षाओंका अध्ययन करे उसे उनकी शिक्षाओंमे उनकी तस्वीर नजरआ जायेगी. जिसको उनका कद देखना हो वह उनके जरिए दी गई शिक्षाओंका कद देखे. जिसको उनकी खूबसूरती देखनी हो वह उनकी शिक्षाओंकी खूबसूरती देखे. जिसको जो देखना हो वह उनकी शिक्षाओंमे देखे उसे पैगम्बर मुहम्मद साहब की मुकम्मल तस्वीर नजर आएगी. 

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पैगम्बर मुहम्मद की शिक्षाएँ

पैगम्बर मुहम्मद साहब की सारी शिक्षाओंको यहाँ नकल करना मुमकिन नही है. यहाँ हम उनकी चंद शिक्षाएं नक़ल करते है, 

"हे इंसानो (मानव जाति), तुम्हारा ईश्वर (अल्लाह) एक है और तुम्हारा पिता एक है. तुम सब आदम के औलाद (वंशज) हो, और आदम को मिट्टी से बनाया गया. ईश्वर (अल्लाह) की दृष्टि में तुम में वही सबसे अधिक प्रतिष्ठित है, जो सबसे सीधा है.   कोई अरबी को किसी ग़ैर-अरब पर, कोई गोरे को किसी कालेपर कोई श्रेष्ठत्व नहीं है सिवाए तक़वा (अल्लाहसे डरनेवाला) के." (अल -तिर्मिज़ी)

“तुम्हारे रब का तुम पर अधिकार है, तुम्हारा स्वयं का तुम पर अधिकार है, और तुम्हारी पत्नी का तुम पर अधिकार है; इसलिए हर एक को जिसका हक़ है, वह दो जो देय है।” (बुखारी)

“जो कोई अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता है, उसे चाहिए कि वह अपने अतिथि का सम्मान करे। जो कोई अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता है, उसे चाहिए कि वह अपने पड़ोसी की रक्षा करे। जो कोई अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता है, वह अच्छी बातें करे या चुप रहे।” (मुसनद अहमद)

"अल्लाह की कसम वह शख्स मुसलमान नहीं, अल्लाह की कसम वह शख्स मुसलमान नहीं, अल्लाह की कसम वह शख्स मुसलमान नहीं, जो पेट भरकर खाए और उसका पड़ोसी भूका सो जाए."

"माँ के चरणो मे स्वर्ग है." 

कुरान में पैगंबर मोहम्मद के बारे में क्या लिखा है?

पैगम्बर मुहम्मद साहब इंसानोकेलिए पैगम्बर बनाकर भेजे गए थे. वह हमेशा लोगोंका भल चाहते थे. वह चाहते थे के लोग अच्छे कर्म करे, सच्चे ईश्वर अल्लाह की भक्ति करे और स्वर्ग में जाए. वह यह सब खुद करते थेऔर लोगोंको इसकी शिक्षा देते थे. कुरान में कई आयतें हैं जो पैगंबर मुहम्मद को संबोधित करती हैं और उनकी कई पोषित विशेषताओं का वर्णन करती हैं जिसने उन्हें मानव जाति के लिए आदर्श रोल मॉडल बनाया. इनमें से कुछ श्लोक इस प्रकार हैं, 

और न वह अपनी इच्छा से बोलता है, वह तो बस एक प्रकाशना (रहस्योद्घाटन) है, जो की जा रही है.” (53: 3, 4)

"निस्संदेह तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल में एक उत्तम आदर्श है अर्थात उस व्यक्ति के लिए जो अल्लाह और अन्तिम दिन की आशा रखता हो और अल्लाह को अधिक याद करे." (33:21)

"तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक रसूल आ गया है. तुम्हारा मुश्किल में पड़ना उसके लिए असह्य है. वह तुम्हारे लिए लालायित है. वह मोमिनों के प्रति अत्यन्त करुणामय, दयावान है,"  (9:128)

"निस्संदेह तुम एक महान नैतिकता के शिखर पर हो"     (68:4)

 "मुहम्मद तुम्हारे पुरुषों में से किसी के बाप नहीं हैं, बल्कि वे अल्लाह के रसूल और नबियों के समापक हैं. अल्लाह को हर चीज़ का पूरा ज्ञान है."        (33:40)

 "ऐ नबी! हमने तुमको साक्षी और शुभ सूचना देनेवाला और सचेत करनेवाला बनाकर भेजा है. और अल्लाह की अनुज्ञा से उसकी ओर बुलानेवाला और प्रकाशमान प्रदीप बनाकर।"     (33:45,46)


मोहम्मद साहब का फोटो बनाने वालों से निवेदन

हम सब जानते है के पैगम्बर मोहम्मद साहब का फोटो नहीं है. क्यों नहीं है और क्यों नहीं बनाना चहिए वह भी जान चुके है. इस से हमारे यह भी समझ में आजाता है के पैगम्बर मोहम्मद साहब का फोटो बनानेकी कोशिश का मतलब इस्लाम की शिक्षाओंको, पैगम्बर मोहम्मद साहब की शिक्षाओंको बिगाडनेकी कोशिश करना है. जिसे मुसलमान कबुल नहीं करता, नाराज हो जाता है. 

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पैगम्बर मोहम्मद साहब का फोटो क्यों नहीं बनाना चाहिए यह जानते हुए भी अगर कोई यह नादानी करता है तो उसे जानना चाहिए के इस इनफार्मेशन के दौर में झूट केजरीए भ्रम तो फैलाया जा सकता है लेकिन सचको बहुत दिनों तक छुपाया नहीं जा सकता उसको झूट साबित नहीं किया जा सकता. और लोगोंको जब सच मालुम हो जाएगा तो उसकी इज्जतका  क्या होगा और लोग उसे क्या समझेंगे वह खुद समझ सकता है. दूसरे धर्मके महापुरुषोंका आदर करनेकी शिक्षा इस्लाम भी देता है और हमारी भारतीय संस्कृति भी देती है. इसलिए हमें एक सभ्य और अच्छा इंसान होने के नाते ऐसे कामोसे रुकना चाहिए. 

अक्सर लोग पैगम्बर मोहम्मद साहब को सिर्फ मुसलमानो के पैगम्बर समझते है. हम इस बात  समझते चले या अपनी गलत फहमी को दूर करते चले के, पैगम्बर मोहम्मद साहब सिर्फ मुसल्मनोके पैगम्बर है,  पैगम्बर मोहम्मद साहब सिर्फ मुसलमानो के पैगम्बर नही है. वह सारे इंसानोंके पैगम्बर है. वह हर इन्सान केलिए पैगम्बर है. 

जिसने उन्हें पैगम्बर बनाया है वह ईश्वर (अल्लाह) खुद क़ुरआन मे कहता है कि, "और वास्तव में, हमने तुम्हे सारे जहांवालो केलिए रहमत बनाकर भेजा है." इसलिए पैगम्बर मोहम्मद साहब मुसलमानो के पैगम्बर होने के साथ अन्य लोगोंके भी पैगम्बर है. उनकी शिक्षाएँ मुसलमानो केलिए भी है और अन्य लोगों केलिए भी है. उनकी शिक्षाओंको समझने और बरतनेका अधिकार जितना मुसलमान को है उतनाही अन्य लोगोंको भी है. 

कोई पुरुष लोगोमे महापुरुष तब बनता है जब लोग उसे चाहते है, उससे प्रेम करते है. और लोग उसे तब चाहते है जब उसमें अच्छे गुण होते है और वह लोगोंकी भलाई केलिए काम करता है. पैगम्बर मोहम्मद साहब को चाहनेवाले और उनसे मुहब्बत करनेवाले दुनिया मे करोडो लोग है. और सिर्फ मुसलमान ही नही है मुसलमानो के अलावा भी करोडो लोग है जो उन्हें चाहते है उनसे प्रेम करते है. आप भी उनकी शिक्षाओंको पढ़िए और समझिए यकीं मानिए आपको भी प्रेम हो जाएगा उनसे. 

आशा है आपको पैगंबर मोहम्मद साहब का फोटो क्यों नहीं है और क्यों नहीं बनाना चाहिए यह समझमे आ गया होगा और आपको यह मालूमात पसंद आई होगी. अगर आपको यह मालूमात पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और जानने वालोमे शेयर करे. धन्यवाद



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पैगम्बर मुहम्मद स. और भारतीय धर्मग्रंथ  

लेखक: डॉ. एम् ए श्रीवास्तव

 

नराशंस और अंतिम ऋषि

(ऐतिहासिक शोध)

लेखक: वेदप्रकाश उपाध्याय


जीवनी हजरत मुहम्मद स. 

लेखक: मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी


पैगम्बर (स.) की बातें 

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संकलन: अब्दुर्रब करीमी 


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